ब्रिटेन से 100 टन सोना वापस लाने पर कोई और मतलब न निकाला जाए, आरबीआई गवर्नर ने कही ये बात
ब्रिटेन से 100 टन सोना वापस लाने पर कोई और मतलब न निकाला जाए, आरबीआई गवर्नर ने कही ये बात
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शक्तिकांत दास |
Gold Reserves: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि विदेश में रखे गए सोने की मात्रा लंबे समय से स्थिर थी. हाल के बरसों में आंकड़े बताते हैं कि रिजर्व बैंक अपने भंडार के हिस्से के रूप में सोना खरीद रहा है और इसकी मात्रा बढ़ रही है.
Gold Reserves: ब्रिटेन से वापस मंगाए गए 100 टन सोने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया है कि इसे लेकर कोई और मतलब न निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ब्रिटेन से 100 टन स्वर्ण भंडार भारत लाया है, क्योंकि देश में पर्याप्त भंडारण क्षमता है. इसका कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 में ब्रिटेन में संग्रहीत अपने 100 टन सोने को घरेलू तिजोरियों में स्थानांतरित कर दिया है. यह 1991 के बाद सोने का सबसे बड़ा स्थानांतरण है. वर्ष 1991 में विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए सोने के बड़े हिस्से को गिरवी रखने के लिए तिजोरियों से बाहर निकाला गया था.
आरबीआई गवर्नर ने बताया ब्रिटेन से सोना लाने का कारण
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि विदेश में रखे गए सोने की मात्रा लंबे समय से स्थिर थी. हाल के बरसों में आंकड़े बताते हैं कि रिजर्व बैंक अपने भंडार के हिस्से के रूप में सोना खरीद रहा है और इसकी मात्रा बढ़ रही है. हमारे पास घरेलू भंडारण क्षमता है. गवर्नर ने कहा कि इसलिए यह निर्णय लिया गया कि भारत के बाहर रखे सोने को लाकर देश में उसको रखा जाए. उन्होंने कहा कि बस इतना ही. इसके और कोई मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.
सोना वापस लाने का कारण
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट किया कि विदेश में रखे गए सोने की मात्रा लंबे समय से स्थिर थी। हाल के वर्षों में रिजर्व बैंक ने अपने भंडार के हिस्से के रूप में सोना खरीदना जारी रखा है और इसकी मात्रा बढ़ रही है। भारत में अब पर्याप्त भंडारण क्षमता उपलब्ध है, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया कि देश के बाहर रखे सोने को वापस लाया जाए। इस कदम का मुख्य उद्देश्य घरेलू तिजोरियों में भंडारण की सुविधा को बढ़ाना है, न कि किसी आर्थिक या राजनीतिक संदेश को देना।
स्वर्ण भंडार का महत्व
भारत के कुल स्वर्ण भंडार में वित्त वर्ष 2023-24 में 27.46 टन की वृद्धि हुई है, जिससे यह बढ़कर 822 टन हो गया है। इसमें से 100 टन सोना ब्रिटेन से वापस लाया गया है, जिससे भारत में कुल स्वर्ण भंडार की मात्रा बढ़कर 408 टन से अधिक हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब स्थानीय और विदेशी होल्डिंग लगभग बराबर हो गई है। सोने का एक बड़ा हिस्सा अभी भी विदेश में जमा है, लेकिन इस स्थानांतरण ने भारत के स्वर्ण भंडार को और मजबूत किया है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
यह 1991 के बाद सोने का सबसे बड़ा स्थानांतरण है। 1991 में, विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए भारत ने अपने स्वर्ण भंडार का बड़ा हिस्सा गिरवी रखा था। इस घटना के बाद, यह पहली बार है जब इतनी बड़ी मात्रा में सोना भारत वापस लाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अब मजबूत स्थिति में है और विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति भी बेहतर है।
आर्थिक दृष्टिकोण
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में जारी किए गए नोटों के बदले स्थानीय स्तर पर 308 टन से अधिक सोना रखा गया है। इसके अलावा, 100.28 टन सोना स्थानीय स्तर पर बैंकिंग विभाग की संपत्ति के रूप में रखा गया है। कुल स्वर्ण भंडार में से 413.79 टन सोना अभी भी विदेशों में रखा गया है। इस प्रकार, सोना वापस लाने का निर्णय भारत के आर्थिक स्थायित्व और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
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308 टन से बदला गया नोट
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में जारी किए गए नोटों के बदले स्थानीय स्तर पर 308 टन से अधिक सोना रखा गया है. इसके अलावा 100.28 टन सोना स्थानीय स्तर पर बैंकिंग विभाग की संपत्ति के रूप में रखा गया है. कुल स्वर्ण भंडार में से 413.79 टन सोना विदेशों में रखा गया है.
निष्कर्ष
ब्रिटेन से 100 टन सोना वापस लाने का आरबीआई का निर्णय कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। यह न केवल भारत की बढ़ती भंडारण क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट किया है कि इस कदम का कोई अन्य अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। यह निर्णय केवल भंडारण की सुविधा और भंडार की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है।
भारत में स्वर्ण भंडार की वृद्धि और उसका सुरक्षित भंडारण देश की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निर्णय से भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा।
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